इस बार हमारे यहां जन्माष्टमी 2 दिन की होने की वजह से काफी असमंजस बना हुआ है यह पहली बार नहीं है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी की दो तिथियां पड़ रही हैं | कृष्ण अष्टमी को रक्षाबंधन के ठीक 8 दिन बाद मनाया जाता है | हमारे समस्त धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म भादो अर्थात भाद्रपद के कृष्ण पक्ष के अष्टमी के दिन मध्य रात में बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र को हुआ था |
इस बार 2 दिन की पड़ने वाली जन्माष्टमी
जन्माष्टमी को कुछ लोग कृष्ण जयंती तथा गोकुल अष्टमी नाम से भी जानते हैं यह अष्टमी अबकी बार 2 तथा 3 सितंबर की पड़ रही है| जब भी कभी दो तिथि वाली जन्माष्टमी पड़ती है तो दो संप्रदाय के लोग अलग-अलग दिन इसको मनाते हैं जो लोग पहले दिन अष्टमी मनाते हैं वह मार्ग स्मार्त (शैव) अर्थात शिव को अपना इष्ट मानने वाले तथा संत महात्मा संत महात्मा जन तथा वहीं दूसरे दिन मनाने वाले वैष्णव संप्रदाय अर्थात भगवान विष्णु को अपना आराध्य मानने वाले तथा गृहस्थ लोग दूसरे दिन जन्माष्टमी मनाते हैं|
जानिए जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त के बारे में
शास्त्रों के अनुसार स्मार्त तथा वैष्णव जन्माष्टमी दोनों का उल्लेख है तथा दोनों ही ठीक हैं | स्मार्त संप्रदाय के जन्म 2 सितंबर को व्रत तथा तथा पूजन करेंगे तथा वही दूसरी ओर वैष्णव संप्रदाय के लोग 3 सितंबर को व्रत तथा पूजन करेंगे |श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की व्रत व्रत पूजा आराधना करने से कष्टों का निवारण होता है तथा मनचाही मनोकामना पूर्ण होती है|